मुंबई और हैदराबाद में ईडी की बड़ी कार्रवाई 31.85 करोड़ की संपत्ति जब्त, अवैध निर्माण घोटाले का भंडाफोड़ इस बड़े घोटाले के मास्टरमाइंड के तौर पर सीताराम गुप्ता, अरुण गुप्ता और अन्य लोगों के नाम सामने आए हैं। छापेमारी के दौरान वसई विरार नगर निगम के डिप्टी डायरेक्टर टाउन प्लानिंग, श्री वाई एस रेड्डी के परिसरों से भारी मात्रा में 8.6 करोड़ रुपये नकद और 23.25 करोड़ रुपये की ज्वेलरी व बुलियन जब्त की गई है।
मुंबई ज़ोनल ऑफिस-II द्वारा 14 और 15 मई, 2025 को मुंबई और हैदराबाद में 13 अलग-अलग स्थानों पर एक साथ छापेमारी की गई। *इस कार्रवाई के दौरान लगभग 9.04 करोड़ रुपये नकद और 23.25 करोड़ रुपये मूल्य के हीरे जड़े आभूषण और सोने-चांदी के बुलियन जब्त किए गए हैं। इसके अलावा कई आपत्तिजनक संपत्ति दस्तावेज भी बरामद हुए हैं।
ईडी ने यह कार्रवाई ईसीआईआर नंबर ECIR/MBZO-II/10/2025 के अंतर्गत की, जो कि मीरा-भायंदर पुलिस कमिश्नरेट द्वारा दर्ज कई प्राथमिकी (FIR) पर आधारित है। मामला वसई-विरार शहर के विकास योजना में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित 60 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध रूप से 41 आवासीय व व्यावसायिक इमारतों के निर्माण से जुड़ा है।
*जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने 30 एकड़ निजी जमीन और 30 एकड़ सरकारी जमीन को फर्जी दस्तावेजों के जरिए अपने नाम दर्शाकर कब्जा कर लिया। जमीन का स्वामित्व साबित करने के लिए मृत लोगों के नाम पर ज़मीन हस्तांतरण का एक जटिल फर्जी चेन तैयार किया गया। इसके बाद यह जमीन फर्जी दस्तावेजों के जरिए विभिन्न बिल्डरों को बेची गई।
*आरोपी बिल्डरों ने वसई-विरार महानगरपालिका (VVMC) के अधिकारियों की मिलीभगत से 2009 से अवैध निर्माण कार्य शुरू किया, बिना निर्माण अनुमति (CC) और अधिभोग प्रमाणपत्र (OC) के ये इमारतें आम जनता को बेची गईं। झूठे स्वीकृति पत्रों के ज़रिए लोगों को धोखा दिया गया।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 08 जुलाई, 2024 को अपने आदेश में इन सभी 41 इमारतों को गिराने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) को भी खारिज कर दिया गया, जिसके बाद VVMC ने 20 फरवरी, 2025 तक सभी इमारतों का विध्वंस पूरा कर लिया।
ईडी की जांच में यह भी पता चला है कि इसी 60 एकड़ ज़मीन पर 2009-2011 के बीच 168 इमारतें और 74 झुग्गी कमरे भी बनाए गए थे, जिन्हें बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश से 2013 में ध्वस्त कर दिया गया था प्रवर्तन निदेशालय की यह जांच आगे भी जारी है।
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