संवाददाता जाबिर शेख
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SICCL) की उस याचिका पर केंद्र, सेबी और अन्य हितधारकों से जवाब मांगा, जिसमें उसने अपनी 88 प्रमुख संपत्तियों को अडाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की अनुमति मांगी थी.इस मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने की. इस पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश भी शामिल हैं. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "हम तय करेंगे कि संपत्तियों को टुकड़ों में बेचा जाए या एक समूह में.इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष केंद्र का प्रतिनिधित्व किया. पीठ ने सहारा समूह के रिफंड दायित्वों से संबंधित लंबे समय से लंबित मामलों में SICCL की एक अर्जी पर सुनवाई की. बता दें कि पीठ सहारा समूह के रिफंड दायित्वों से संबंधित लंबे समय से लंबित मामलों में SICCL की एक अर्जी पर सुनवाई कर रही थी.पीठ ने न्यायमित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े से सहारा फर्म द्वारा अडाणी समूह की कंपनी को बेची जाने वाली प्रस्तावित 88 संपत्तियों का विवरण एकत्र करने को कहा. पीठ ने न्यायमित्र से इन संपत्तियों के संबंध में अन्य हितधारकों के जवाबों पर भी ध्यान देने और उनकी प्रकृति के बारे में विस्तृत जानकारी देने को कहा, जिसमें यह भी शामिल है कि संपत्तियां बेदाग हैं या विवादित.
पीठ ने मेहता के इस तर्क पर भी गौर किया कि यह उचित होगा कि आवेदन में की गई अपीलों पर विचार करने से पहले केंद्र का पक्ष अवश्य सुना जाए. पीठ ने आदेश दिया, "हम आवेदक को वित्त मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय को पक्षकार बनाने का निर्देश देते हैं. आवेदन में ऐसी संपत्तियां भी शामिल हैं, जिनके अधिकारों को कुछ पक्षों के बीच अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है कोर्ट ने कहा, आवेदन पर विचार करने से पहले यह उचित होगा कि आवेदन में सूचीबद्ध किसी भी संपत्ति पर अधिकार का दावा करने वाले पक्ष न्यायमित्र को अपनी बात प्रस्तुत करें. पीठ ने कहा, “हम न्यायमित्र से अनुरोध करते हैं कि वह एक सहायक वकील की मदद लें जो ऐसी संपत्तियों को दर्शाने वाले एक चार्ट में ऐसी जानकारी एकत्र कर सके, जहां विवाद हैं..., जहां अधिकार स्पष्ट हैं, और जहां संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है पीठ ने केंद्र, न्यायमित्र और सेबी से सहारा फर्म द्वारा आवेदन में की गई एप्लीकेशन का जवाब देने को कहा, और सहारा समूह को उन कर्मचारियों के दावे की जांच करने का भी निर्देश दिया, जिन्हें कई वर्षों से वेतन नहीं दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को निर्धारित की है।
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