संवाददाता अजय सिंह
शाहजहाँपुर। स्मैक तस्करी के कुख्यात नाम रियाज मोहम्मद उर्फ बाबू खां की गिरफ्तारी भले ही पुलिस की बड़ी कामयाबी बताई जा रही हो, लेकिन इस कार्रवाई ने खुद पुलिस की कार्यशैली पर भी तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं। जिले भर में स्मैक का सिंडिकेट खड़ा करने वाला बाबू खां पुलिस की गिरफ्त में जरूर आ गया। मगर उसके पास से बरामदगी के नाम पर पुलिस ने मात्र 99 ग्राम स्मैक, एक मोबाइल और 1220 रुपये ही बरामद दिखाए। सवाल यह उठ रहा है कि जब बाबू खां की पहचान प्रदेश ही नहीं बल्कि कई राज्यों में स्मैक सप्लायर नंबर-1 के रूप में है तो फिर पुलिस ने इतनी मामूली बरामदगी ही क्यों दिखाई?
करोड़ों की तस्करी, फिर भी मामूली बरामदगी!!
सूत्रों की मानें तो बाबू खां का तस्करी का नेटवर्क यूपी, दिल्ली और हरियाणा समेत कई राज्यों तक फैला हुआ है। यही नहीं, उसने इस काले कारोबार से ईंट भट्टा, पेट्रोल पंप, लग्जरी शोरूम और आलीशान संपत्तियों का साम्राज्य खड़ा कर लिया है। लेकिन पुलिस ने उसकी इस काली कमाई पर कोई कार्यवाही नहीं की। आखिर क्यों? जिले का बच्चा-बच्चा जानता है कि बाबू खां नशे का बड़ा सप्लायर है। उसकी गहरी पहुंच सत्ता और सफेदपोशों तक बताई जाती है। यही वजह है कि पुलिस कभी उसके असली नेटवर्क तक नहीं पहुंच पाई। जबकि पुराने हिंदी फिल्मों की तरह उसके पास भी पूरा सिंडिकेट काम करता है और उसकी पैरवी में बड़े नाम खड़े रहते हैं। गौरतलब है कि बाबू खां के साले और साढ़ू को मुजफ्फरनगर पुलिस ने पकड़कर 5 करोड़ की स्मैक बरामद की थी। ऐसे में बाबू, जो इन तस्करों का सप्लायर बताया जाता है उसके पास से महज 99 ग्राम स्मैक मिलना किसी को हजम नहीं हो रहा।
आखिर क्यों छिपाया गया चेहरा?
आम तौर पर पुलिस तस्करों और आरोपियों की प्रेसवार्ता में नुमाइश करती है, लेकिन बाबू खां का चेहरा पुलिस ने छुपा दिया। सवाल उठता है—क्या पुलिस किसी दबाव में है या फिर बाबू खां के पीछे खड़े बड़े लोगों को बचाने के लिए यह खेल रचा गया। क्या पुलिस ने बाबू खां की असली संपत्ति और नेटवर्क की जांच की है क्यों नहीं खोला गया उसके काले कारोबार का पूरा राज। क्या सफेदपोशों के दबाव में पुलिस ने बरामदगी कम दिखाई। आखिर कब तक नशे के डॉन कानून को मजाक बनाते रहेंगे। शाहजहाँपुर का यह स्मैक किंग भले ही सलाखों के पीछे पहुंच गया हो मगर उसके पीछे छिपे असल खिलाड़ियों तक पहुंचने की हिम्मत पुलिस कब दिखाएगी यही सवाल अब हर जुबान पर है।
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