संवाददाता ए के सिंह
वाराणसी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्ण के साथ काशी नाटकोट्टई नगर क्षेत्रम में निर्मित धर्मशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत ‘वनक्कम काशी’ से करते हुए कहा कि काशी की गंगा से लेकर तमिलनाडु की कावेरी तक हमारी सांस्कृतिक धारा एक ही है — भाषाएं भले ही भिन्न हों, लेकिन भारत की आत्मा शाश्वत, समावेशी और अखंड है।
काशी और तमिलनाडु के बीच प्राचीन सांस्कृतिक बंधन
सीएम योगी ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का क्षण है कि उपराष्ट्रपति जी बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में पधारे हैं। श्रीकाशी नाटकोट्टई नगर क्षेत्रम मैनेजिंग सोसाइटी द्वारा निर्मित यह धर्मशाला श्रद्धालुओं को आवास सुविधा प्रदान करेगी और काशी व तमिलनाडु के प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों को और सुदृढ़ बनाएगी।
विश्वेश्वर और रामेश्वर — एक ही ज्योतिर्लिंग के दो रूप
मुख्यमंत्री ने बताया कि काशी विश्वनाथ और रामेश्वरम धाम दोनों ही भगवान शिव के दिव्य स्वरूप हैं। भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वर ज्योतिर्लिंग और काशी के भगवान विश्वेश्वर, उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक हैं। आदि शंकराचार्य ने इसी संबंध को आगे बढ़ाते हुए देश के चारों कोनों में पवित्र पीठों की स्थापना की और अद्वैत दर्शन का संदेश दिया।
तेनकाशी — दक्षिण की काशी
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि तमिलनाडु की तेनकाशी में भगवान विश्वनाथ का प्राचीन मंदिर है, जिसका अर्थ ही है “दक्षिण की काशी”। पांड्य सम्राट श्रीहरि केशरी परिक्रम पांड्यन ने काशी से ज्योतिर्लिंग लाकर तेनकाशी में उसकी स्थापना की थी। इसी तरह तमिलनाडु में शिवकाशी नामक एक और पवित्र स्थान है जो काशी और तमिल संस्कृति की एकता का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की आस्था और सांस्कृतिक गौरव के पुनर्स्थापन का कार्य तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है — जो उत्तर से दक्षिण तक भारत की आत्मा को एक सूत्र में पिरो रहा है।
ब्यूरो रिपोर्ट
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