सत्यानंद हॉस्पिटल की गायोनेकोलॉजिस्ट डॉ इंदु यादव,डॉ #गौरव मिश्रा व सौरभ मिश्रा के खिलाफ़ न्यायालय ने जारी किए सम्मन,सामान्य



संवाददाता अजय सिंह 

यूपी के शाहजहांपुर में विवादों व तमाम आरोपों से घिरा रहने वाले चर्चित सत्यानंद हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर न्यायालय ने सम्मन जारी किए हैं गर्भवती महिला की हॉस्पिटल में हुई थी सामान्य डिलीवरी,जिसके बाद ब्लीडिंग नहीं रुकी,पति ने जब इसी हॉस्पिटल के डॉक्टरों को दिक्कत बताई।
तब डॉक्टर ने नॉर्मल ब्लीडिंग की समस्या बताकर 07 दिनों के ईलाज में समाधान होने की बात कहकर शुरू किया था यूईलाज।
तब भी समस्या बनी रहने पर डॉक्टर ने बताया कि यूट्रस में गांठ है और थायराइड बड़ा हुआ है फिर 03 माह में 30 हजार खर्चे का बता दिया ईलाज।
यही नहीं यह भी कहा कि यदि जब भी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो आपरेशन कर यूट्रस को निकालना पड़ेगा जिसके बाद महिला कभी भी मां नहीं बन पाएगी।
पीड़ित ने पत्नी की हालत देखते हुए ईलाज शुरू करवाया और डॉक्टर ने 15 दिन की दवाई दी,इसी दौरान परिजनों के कहने पर महिला की जांच वरुण अर्जुन मेडिकल कॉलेज में कराई गयी।
जहां डॉक्टर ने बताया कि महिला के मात्र 05 यूनिट ब्लड बचा है और डिलीवरी के समय बच्चे का प्लेसेंटा पेट में ही छोड़ दिया गया।
इसी कारण ब्लीडिंग हो रही थी,पेट में कोई गांठ नहीं है और न ही थायराइड बड़ा हुआ है,जिसके बाद मेडिकल कॉलेज में महिला की ज़ीरो सर्जरी कर यूट्रस से प्लेसेंटा निकाला गया।
मेडिकल कालेज के डॉक्टरों ने बताया कि यदि 02 माह तक और प्लेसेंटा नहीं निकाला जाता तो कैंसर होने की पूरी संभावना थी जिससे महिला की मौत भी हो सकती थी।
यह पूरी घटना शाहजहांपुर में शहर कोतवाली क्षेत्र की महिला सुप्रिया के साथ घटित हुई,जिसके बाद अधिवक्ता उमेश कुमार वर्मा की पैरवी के बाद मामला न्यायालय तक पहुंचा।
इस दौरान कोर्ट ने सीएमओ से रिपोर्ट मांगी जिसमें कहा गया कि डॉ इंदु यादव द्वारा सुप्रिया के प्रसव के बाद बच्चेदानी की ठीक से सफाई न करने की लापरवाही की गयी।
यही नहीं उनके पास जब सुप्रिया ईलाज के लिए गयीँ तो उसमें लापरवाही की गयी जिसमें महिला के लगातार ब्लीडिंग होती रही।
जिसमें न्यायालय अपर सिविल जज जूनियर डिविजन कोर्ट संख्या 31 की जज वर्तिका पटेल ने सत्यानंद हॉस्पिटल के तीन डॉक्टरों को सम्मन जारी किया है।
कोर्ट ने डॉ इंदु यादव को आईपीसी की धारा 336,337 के तहत व डॉ गौरव मिश्रा और डॉ सौरभ मिश्रा को आईपीसी की धारा 506 के तहत सम्मन जारी किया गया है।
बहरहाल चमचमाती बिल्डिंग और फीस भी हाई फाई लेकिन डिलीवरी तक के केस साल्व नहीं हो पा रहे हैं आखिर यह कैसा ईलाज है कि भरपूर फीस लेने के बाद भी सही ढंग से ईलाज नहीं मिल पा रहा है उसके बाद अगर शिकायत की तो गुंडई पर उतारू।

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