सावन के दूसरे सोमवार को काशी के गौरी केदारेश्वर मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़, शिवलिंग की अनोखी संरचना, खिचड़ी भोग की विशेष महिमा




संवाददाता हरिशंकर

वाराणसी पवित्र सावन मास में भक्त महादेव की भक्ति में लीन हैं। शिव की नगरी काशी में आस्था और उत्साह अपने चरम पर है। सावन के दूसरे सोमवार को केदार घाट के समीप स्थित गौरी केदारेश्वर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस मंदिर में स्थापित स्वयंभू शिवलिंग की अनोखी संरचना और खिचड़ी के भोग की महिमा इसे विशेष बनाती है।
गौरी केदारेश्वर मंदिर का शिवलिंग दो भागों में विभाजित है, जिसमें एक भाग भगवान शिव और माता पार्वती का प्रतीक है, तो दूसरा भाग भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का। इस हरिहरात्मक और शिव-शक्तयात्मक स्वरूप की महिमा शिव पुराण में वर्णित है। मान्यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सावन के इस पवित्र दिन भक्त 'हर हर महादेव' और 'गौरी केदारेश्वराभ्याम नम:' का जाप करते हुए मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे। मंदिर में पूजन विधि भी अन्य शिव मंदिरों से अलग है। यहां ब्राह्मण बिना सिले वस्त्र पहनकर चार पहर की आरती करते हैं। स्वयंभू शिवलिंग पर दूध, बेलपत्र, और गंगाजल के साथ खिचड़ी का भोग लगाने की विशेष परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्वयं भोलेनाथ इस मंदिर में खिचड़ी का भोग ग्रहण करने पधारते हैं।
मंदिर के पुजारी ने बताया कि गौरी केदारेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा ऋषि मान्धाता की भक्ति से जुड़ी है। शिव पुराण के अनुसार, ऋषि मान्धाता प्रतिदिन हिमालय जाकर भगवान शिव और माता पार्वती को खिचड़ी का भोग अर्पित करते थे। एक बार अस्वस्थ होने के कारण जब वे हिमालय नहीं जा सके, तो उनकी प्रार्थना पर भगवान शिव काशी में स्वयं प्रकट हुए और खिचड़ी का भोग ग्रहण किया। इसके बाद, भगवान शिव ने इस स्वरूप को काशी में स्थापित किया और खिचड़ी को 'पत्थर से बने शिवलिंग' में परिवर्तित कर दिया, जो दो भागों में विभक्त है।
शिव पुराण के अनुसार, यह शिवलिंग चार युगों में चार रूपों में पूजित होगा। सतयुग में नवरत्नमय, त्रेता में स्वर्णमय, द्वापर में रजतमय, और कलयुग में शिलामय। यह शिवलिंग माता अन्नपूर्णा का भी प्रतीक है, जो भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। सावन के महीने में माता गंगा भी बाबा विश्वनाथ की चौखट तक पहुंचती हैं, जिससे काशी की आध्यात्मिक महिमा और बढ़ जाती है। गौरी केदारेश्वर मंदिर में आज भक्तों का उत्साह और भक्ति देखते ही बन रहा था। मंदिर परिसर 'हर हर महादेव' के जयघोष से गूंज उठा।

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