संवाददाता,,, फवाज़ शेख
मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को बीएमसी के फील्ड अस्पताल घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत के करीबी दोस्त सुजीत पाटकर और एकेडमिक डीन डॉ. किशोर बिसुरे को गिरफ्तार किया है। महामारी के दौरान डॉ. बिसुरे दहिसर कोविड फील्ड अस्पताल के प्रभारी थे।
लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज (एलएचएमएस) को दहिसर में कोविड फील्ड अस्पताल के लिए अनुबंध मिला और बीएमसी से 30 करोड़ रुपये का भुगतान प्राप्त हुआ लेकिन वास्तविक कार्य के लिए केवल 8 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया। बीएमसी ने महामारी के दौरान कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए मुंबई में कई फील्ड अस्पतालों का निर्माण किया। आरोप है कि फील्ड अस्पताल प्रबंधन से जुड़े ज्यादातर ठेके राजनीतिक प्रभाव के तहत बीएमसी अधिकारियों ने बढ़ी हुई कीमत पर आवंटित किए।
तत्कालीन अतिरिक्त नगर आयुक्त संजीव जयसवाल और उनके वरिष्ठों के निर्देश पर बीएमसी ने दहिसर में फील्ड अस्पताल के प्रबंधन के लिए एलएचएमएस को काम आवंटित किया। बीएमसी ने एलएचएमएस को 30 करोड़ रुपये जारी किए थे। एलएचएमएस ने शेष 22 करोड़ रुपये को व्यक्तिगत उपयोग के लिए शेल कंपनियों और विभिन्न अन्य फर्मों के खातों में भेज दिया। ईडी ने मनी ट्रेल स्थापित करने का दावा किया है। एलएचएमएस का गठन 2020 में शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत के करीबी दोस्त सुजीत पाटकर द्वारा किया गया था और एक महीने के भीतर इसे क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद फील्ड अस्पताल के प्रबंधन के लिए बीएमसी से अनुबंध मिला।
ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग मामला आज़ाद मैदान पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर पर आधारित था और बाद में एजेंसी ने महामारी के दौरान कोविड से संबंधित कार्यों पर खर्च किए गए 4,000 करोड़ रुपये की जांच करने का फैसला किया। ईडी ने दावा किया कि एजेंसी द्वारा दर्ज किए गए अधिकांश ठेकेदारों और बिल्डरों के बयान में उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके ये ठेके हासिल किए हैं। बीएमसी के कई अधिकारियों की भूमिका ईडी की जांच के दायरे में है
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