50 हजार के ईनामी की दुर्गति, बहन के घर शरण लेने आया शेखर खुद बन गया साज़िश का शिकार




संवाददाता अजय सिंह 

शाहजहांपु जिस शेखर मौर्या पर शाहजहांपुर में हुए आयुष गुप्ता हत्याकांड में 50 हजार का इनाम था। वही शेखर अपनी लालच और साज़िश का शिकार बन गया। कानपुर पुलिस को उसकी बोरी में बंद सड़ी-गली लाश नहर में मिली थी। जिसकी पहचान न होने पर लावारिस शव समझकर अंतिम संस्कार भी पुलिस ने कर दिया था। लेकिन यहीं से शुरू हुई यूपी एसटीएफ की सूझबूझ और सुरागरसी, जिसने एक अज्ञात शव के मामले को जोड़ते हुए न सिर्फ ईनामी शेखर का सच सामने लाया बल्कि उसके हत्यारों को भी बेनकाब कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। शाहजहांपुर में आयुष की हत्या के ठीक अगले दिन, 3 दिसंबर 2024 को शेखर मौर्या कानपुर में अपनी बहन सीमा के घर पहुंचा। हत्या का मुकदमा दर्ज होने से डरे शेखर को सीमा ने दोस्त कुलदीप दुबे के यहां ठहराया। यहीं से शुरू हुआ लालच, दबाव और धोखे का सिलसिला।

पैसों और संपत्ति की लालच ने कराई हत्या!!

मुकदमे की पैरवी के नाम पर कुलदीप ने पहले 10 लाख रुपये की मांग की। शेखर की पत्नी सालू ने जेवर बेचकर यह रकम दी। इसके बाद बहन, भांजी और भाई ने फिर 15 लाख रुपये के इंतजाम का दबाव बनाया। इस बीच, कुलदीप की महिला मित्र को परेशान करने पर गुस्से में कुलदीप ने शेखर की हत्या कर दी। शव को पहचान छुपाने के लिए बोरी में बंद कर पनकी नहर में फेंक दिया गया। हत्या के बाद भी परिवार वालों ने खेल जारी रखा। भांजी ज्योति ने 16 दिसंबर को सालू से और 10 लाख रुपये लिए। जनवरी 2025 में बहन, भांजी और भाई ने मिलकर बीमार पिता से पूरी संपत्ति अजीत मौर्या के नाम कराई।

पत्नी ने टैटू से पहचानी लाश!!

शेखर की पत्नी सालू को शुरू में हत्या की भनक तक नहीं लगी। कुलदीप दुबे शेखर बनकर उससे टेलीग्राम पर बातें करता रहा। लेकिन जब सोशल मीडिया पर एक अज्ञात शव की तस्वीर सामने आई तो सालू ने टैटू देखकर शव को अपने पति शेखर के रूप में पहचान लिया। इसके बाद अमरापुर कानपुर थाने में कुलदीप दुबे, अभय कुशवाहा, अजीत मौर्या और युवराज कुशवाहा के खिलाफ केस दर्ज हुआ।

!!एसटीएफ की बड़ी कामयाबी!!

यूपी एसटीएफ लखनऊ के डिप्टी एसपी दीपक कुमार सिंह और उनकी टीम ने महीनों की जांच-पड़ताल में यह राज खोला। आठ महीने से पुलिस रिकॉर्ड में फरार चल रहे 50 हजार के ईनामी शेखर मौर्या की गुत्थी को सुलझाना टीम के लिए चुनौती थी। लेकिन जिस लाश को पुलिस ने “लावारिस” समझकर दफना दिया था, वही लाश असल में 50 हजार के ईनामी की थी। एसटीएफ की मेहनत से पूरा सच सामने आया और हत्यारों की करतूतें बेनकाब हो गईं। सवाल यह है कि जिसने हत्या कर फरारी काटी थी, वही खुद लालच और विश्वासघात का शिकार बनकर मौत की आगोश में चला गया।

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