संवाददाता आर के सिंह
मुंबई महाराष्ट्र बड़ी खबर बड़े काम कर दिया नाम देश मे नाम यह है गुदड़ी में लाल भाषा मज़हब की मोहताज नहीं होती इस विचार को साकार कर दिखाया है अब्दुल अहद ने, जिन्होंने संस्कृत भाषा में देशभर के छात्रों के बीच अपनी अद्वितीय प्रतिभा का परिचय देते हुए अखिल भारतीय सरल-संस्कृत परीक्षा में तीसरा स्थान प्राप्त किया है।
इस परीक्षा का आयोजन भारतीय विद्या भवन, मुंबई द्वारा किया गया था, जिसमें कुल 3824 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया।
अब्दुल अहद को यह सम्मान श्री शंकराचार्य संस्कृत महाविद्यालय, नई दिल्ली केंद्र से प्राप्त हुआ है। यह परीक्षा किसी एक स्कूल या राज्य तक सीमित नहीं थी, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से संस्कृत प्रेमी विद्यार्थियों ने इसमें भाग लिया। ऐसे प्रतियोगी माहौल में अब्दुल अहद की सफलता न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि भाषा और संस्कृति को जोड़ने वाली भारतीय विरासत का एक सुंदर उदाहरण भी है।
अब्दुल अहद के पिता, वरिष्ठ पत्रकार श्री अब्दुल माजिद निज़ामी ने इस उपलब्धि पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, "यह सफलता केवल मेरे बेटे की नहीं, बल्कि उस साझा भारतीय संस्कृति की जीत है, जहाँ एक मुस्लिम छात्र और संस्कृत जैसी प्राचीन भाषा का संगम, भारत की समावेशी परंपरा को उजागर करता है।
उन्होंने आगे कहा कि यदि शिक्षा को धर्म और संकीर्ण सोच से मुक्त कर दिया जाए, तो छात्र अपनी प्रतिभा से हर क्षेत्र में ऊँचाइयाँ छू सकते हैं।
अब्दुल अहद संस्कृत को सिर्फ एक विषय नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा मानते हैं। उनके अनुसार, "भाषा संवाद का माध्यम है, दीवार नहीं।
उनकी यह सोच आज के समय में भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ने की दिशा में एक प्रेरक संदेश है।
यह उपलब्धि यह भी दर्शाती है कि यदि छात्रों को खुला और समावेशी शैक्षणिक माहौल मिले, तो वे किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं चाहे वह भाषा हो, साहित्य, विज्ञान या तकनीक।
अब्दुल अहद की यह सफलता देश के उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमाओं से परे सोचने का साहस रखते हैं
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