CMO की छत्रछाया में फर्जीवाड़ा द फ्यूचर हॉस्पिटल में बिना जांच फर्जी डॉक्टरों से हो रहा इलाज चार वर्षों से चल रहा खेल



संवाददाता जाबिर शेख 

वाराणसी, चिरईगांव जिले के चिरईगांव ब्लॉक अंतर्गत संदहा चौराहा स्थित द फ्यूचर हॉस्पिटल में चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहाँ बिना किसी वैध चिकित्सकीय योग्यता और सत्यापन के फर्जी डॉक्टर्स के नाम पर हॉस्पिटल का संचालन किया जा रहा है, और हैरानी की बात यह है कि इस पूरे खेल को मुख्यचिकित्सा अधिकारी (CMO) कार्यालय से बाकायदा पंजीकरण भी प्राप्त है।

चार वर्षों से चल रहा है फर्जीवाड़ा

हॉस्पिटल का पंजीकरण वर्ष 2021-22 में कराया गया था। पंजीकरण के लिए प्रस्तुत दस्तावेजों में "डॉ. अमित कुमार सिंह" नामक व्यक्ति को प्रमुख चिकित्सक दिखाया गया है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।

सूत्रों की मानें तो "डॉ. अमित कुमार सिंह" नामक कोई चिकित्सक मेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के रजिस्ट्रेशन में पंजीकृत नहीं है। हॉस्पिटल संचालक ने जौनपुर के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. संजय सिंह (कमला हॉस्पिटल) का रजिस्ट्रेशन नंबर 56279 चोरी कर उसका कूटरचित उपयोग कर अपने नाम पर रजिस्ट्रेशन दर्शाया।जब उक्त रजिस्ट्रेशन नंबर की वैधता को मेडिकल काउंसिल में जांचा गया तो वह डॉ. संजय सिंह के नाम पर ही रजिस्टर्ड पाया गया।

एक और नाम सामने आया: डॉक्टर कभी वाराणसी आए ही नहीं

यही नहीं, हॉस्पिटल में दूसरे डॉक्टर के रूप में "डॉ. मञ्जूष कुमार श्रीवास्तव" का नाम दर्शाया गया है। गहन पड़ताल में सामने आया कि डॉ. श्रीवास्तव मूलतः गोरखपुर निवासी हैं और लखनऊ के एक बड़े संस्थान में कार्यरत हैं। उन्होंने कभी वाराणसी में चिकित्सकीय सेवा नहीं दी।

हॉस्पिटल प्रबंधन ने उनकी पहचान और डिग्री का दुरुपयोग कर, कूटरचित दस्तावेज तैयार कर उन्हें भी इस हॉस्पिटल का हिस्सा दिखा दिया। यह पूरी प्रक्रिया फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे संचालित की जा रही है, और सवाल यह उठता है कि CMO कार्यालय ने बिना सत्यापन के आखिर यह पंजीकरण कैसे दे दिया?

क्या CMO कार्यालय की मिलीभगत

यह संदेह गहराता जा रहा है कि मुख्यचिकित्सा अधिकारी कार्यालय के कुछ कर्मचारियों या अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं था। सूत्र बताते हैं कि पंजीकरण के समय ना तो शैक्षणिक दस्तावेजों की भौतिक जांच हुई, ना ही डॉक्टरों की उपस्थिति सत्यापित की गई।

अब सवाल यह उठता है कि

क्या केवल कागज पर नाम देखकर ही पंजीकरण प्रमाण-पत्र जारी कर दिए जाते हैं?

CMO कार्यालय की भूमिका कितनी पारदर्शी और निष्पक्ष है

और यदि इतने वर्षों से यह फर्जीवाड़ा चल रहा है तो कौन-कौन अधिकारी ज़िम्मेदार हैं?

प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी

फिलहाल इस पूरे प्रकरण को लेकर सीएमओ कार्यालय की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की यह चुप्पी खुद में कई सवाल खड़े करती है।यदि यह मामला यूं ही दबा दिया गया, तो आने वाले समय में कई और फर्जी अस्पताल और झोलाछाप डॉक्टर लोगों की जान से खिलवाड़ करते रहेंगे।

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