उत्तर प्रदेश आगरा डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध 70 कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई है, जिनमें 67 बीएड और तीन बीपीएड व एमएड कॉलेज शामिल हैं। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन एनसीटीई ने यह कार्रवाई गुणवत्ता जांच में कमियां पाए जाने के बाद की है। इन कॉलेजों को सत्र 2025-26 की प्रवेश प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है, जिससे विश्वविद्यालय की बीएड सीटों की संख्या पर असर पड़ेगा।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव अजय मिश्रा ने बताया कि एनसीटीई से प्राप्त पत्र में 70 संबद्ध कॉलेजों के लिए विड्रॉल ऑर्डर जारी किया गया है। इनमें बीएड, एमएड और बीपीएड पाठ्यक्रम संचालित करने वाले कॉलेज शामिल हैं। आदेश के अनुसार, ये कॉलेज आगामी काउंसलिंग प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकेंगे एनसीटीई ने देशभर में बीएड, एमएड और बीपीएड पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता जांच के लिए परफॉर्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट (पार) प्रक्रिया शुरू की थी। इसके तहत कॉलेजों से सत्र 2021-22 और 2022-23 की रिपोर्ट मांगी गई थी। कई कॉलेजों ने समयसीमा के बावजूद रिपोर्ट जमा नहीं की, जिसके बाद एनसीटीई एक्ट 1993 की धारा 17(1) के तहत नोटिस जारी किए गए। जवाब न मिलने पर 2200 से अधिक कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत एनसीटीई ने डमी शिक्षण संस्थानों और फर्जी शिक्षक-छात्रों की पहचान के लिए यह कदम उठाया। जांच में कई कॉलेजों में अपर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर, अयोग्य शिक्षक और केवल नाममात्र का नामांकन पाया गया। एनसीटीई ने ऐसी अनियमितताओं पर सख्ती बरतते हुए कार्रवाई शुरू की है और भविष्य में और कॉलेजों पर जांच की तलवार लटक रही है इस कार्रवाई से यूपी में बीएड और अन्य शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की सीटों की उपलब्धता पर असर पड़ेगा। साथ ही, यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
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