मुंबई, 15 मई: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मुंबई और हैदराबाद में 13 स्थानों पर छापेमारी के दौरान 32 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति जब्त की है। यह कार्रवाई एक चल रही जांच के तहत की गई है, जो अवैध भूमि विकास और मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले से जुड़ी है।
14 और 15 मई को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई इस कार्रवाई में ईडी ने 9.04 करोड़ रुपये नकद और हीरे जड़े आभूषण एवं सोना-चांदी जब्त किया, जिसकी कीमत लगभग 23.25 करोड़ रुपये बताई गई है। इसके अलावा बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं।
ईडी के अनुसार, सबसे बड़ी जब्ती मुंबई और हैदराबाद में वसई-विरार महानगरपालिका (VVMC) के टाउन प्लानिंग उप निदेशक वाई. एस. रेड्डी के आवास से की गई। उनके पास से 8.6 करोड़ रुपये नकद और 23.25 करोड़ रुपये मूल्य के आभूषण व बुलियन बरामद किए गए हैं।
जांच एजेंसी को संदेह है कि वसई-विरार क्षेत्र में हुए एक बड़े अवैध निर्माण घोटाले में VVMC के अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला अंजाम दिया गया। यह अवैध निर्माण 60 एकड़ सार्वजनिक भूमि पर हुआ, जो मूल रूप से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और कचरा निस्तारण केंद्र के लिए आरक्षित थी।
ईडी सूत्रों के मुताबिक, इस सिंडिकेट ने नगर निगम की मंजूरी से जुड़े फर्जी दस्तावेज बनाकर आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियां बेचीं। इन संपत्तियों का निर्माण पर्यावरण और शहरी नियोजन नियमों की अनदेखी कर किया गया। इसके पीछे मनी लॉन्ड्रिंग और शेल कंपनियों का एक बड़ा नेटवर्क बताया जा रहा है, जो मुंबई और हैदराबाद तक फैला हुआ है।
यह जांच मीरा-भायंदर पुलिस आयुक्तालय द्वारा दर्ज की गई कई एफआईआर पर आधारित है, जिनमें कई बिल्डरों और स्थानीय दलालों के नाम शामिल हैं। अवैध निर्माण की शुरुआत 2009 में हुई थी और यह सिलसिला कई वर्षों तक चलता रहा।
ईडी अधिकारियों ने बताया कि 41 इमारतें अवैध रूप से सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर बनाई गई थीं। बिल्डरों ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर खरीदारों को गुमराह किया और ऐसी संपत्तियां बेचीं जिनके पास कोई वैध स्वीकृति नहीं थी और जो कभी भी ढहाई जा सकती थीं।
इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 8 जुलाई 2024 को दिए एक आदेश में सभी 41 अवैध इमारतों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवारों द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया, जिसके बाद VVMC ने 20 फरवरी 2025 तक सभी इमारतों को गिरा दिया।
ईडी ने कहा है कि जांच आगे भी जारी रहेगी, जिसमें वित्तीय लेन-देन की गहराई से जांच की जाएगी और इस घोटाले से जुड़े पूरे नेटवर्क की पहचान की जाएगी। इसके साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी की पूरी परतें खोली जाएंगी।
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