उत्तर प्रदेश आजमगढ़ शनिवार को महाराजा सुहेलदेव विश्विद्यालय में संगोष्ठियों की श्रृंखला अनवरत जारी रही,मीडिया प्रभारी डॉ0 प्रवेश कुमार सिंह ने बताया कि जहाँ प्रातः 11 बजे से 1 बजे तक साइबर अपराध और उनके प्रति कानूनी जागरूकता जगाने के उद्देश्य से विश्विद्यालय के विधि विभाग द्वारा आयोजित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम साइबर क्राइम:सोशल मीडिया युग में विधिक नियोजन विषय पर आधारित संगोष्ठी में पुलिस अधीक्षक-ग्रामीण श्री चिराग जैन,काशी हिन्दू विश्विद्यालय के प्रोफ़ेसर अनुराग दवे और प्रोफ़ेसर रजनीश पटेल ने अपने विचार व्यक्त किये।अध्यक्षता मा0 कुलपति प्रो0 संजीव कुमार ने की।
अपराह्न 2.30 बजे से सेमिनार हाल में विश्विद्यालय एवं नेहरू युवा केन्द्र संगठन के संयुक्त तत्वावधान में, डॉ0 भीमराव आंबेडकर के सामाजिक सुधारों के भारतीय समाज पर प्रभाव:एक सिंहावलोकन विषय पर आधारित संगोष्ठी में अपना बीज वक्तव्य देते हुए प्रो0 संजीव कुमार ने कहा कि डॉ0आंबेडकर के सामाजिक सुधारों ने भारतीय समाज के स्वरूप को मध्ययुगीन सोच से ऊपर उठाकर अग्रगामी समाज में परिवर्तित किया है।
मुख्य वक्ता प्रो0 ऋषिकेश सिंह,प्राचार्य,श्रीकृष्ण गीता पी जी कॉलेज, लालगंज ने कहा कि, डॉ0 अम्बेडकर के युग परिवर्तन की दृष्टि की व्यापक समीक्षा आवश्यक है साथ ही उनके सुधारों को सामाजिक समरसता के दृष्टिकोण से देखना उचित होगा उनके रचित संवैधानिक प्रावधानों के मूल मन्तव्य को भी उनकी सोच और समझ के अनुरूप अंगीकार करना होगा।
विशिष्ट वक्ता प्रो0 शुचिता श्रीवास्तव, प्राचार्य,मालटारी पी जी कॉलेज ने कहा कि डॉ भीमराव आंबेडकर एक युगदृष्टा और महान समाज सुधारक थे,उनके स्थापित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अभी और भी परिश्रम की आवश्यकता है।
शिब्ली कॉलेज के प्रोफ़ेसर शफीउज़्ज़मा ने अपने आभार ज्ञापन में यह रोचक जानकारी भी दी कि डॉ0 अम्बेडकर का सम्बन्ध अपने जीवन काल में आज़मगढ़ से भी बड़ा अटूट रहा है।
संगोष्ठियों की अंतिम श्रृंखला में, सुहेलदेव विश्विद्यालय एवं भारतीय शिक्षण मण्डल,गोरक्ष प्रान्त के संयुक्त तत्वावधान में,भारतीय शिक्षण मण्डल के 56वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर आधुनिक शिक्षा प्रणाली में भारतीय ज्ञान परम्परा की पुनर्स्थापना और प्रासंगिकता विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि, प्रो0 जयप्रकाश सैनी, मा0 कुलपति, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय,गोरखपुर ने कहा कि भारत को विश्व गुरु मानने में किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए यह सर्वप्रमाणित तथ्य है कि 'वसुधैव कुटुम्बकम' से लेकर 'न हन्यति हन्यमाने शरीरे' का आध्यात्मिक ज्ञान भारत ने ही दिया है विज्ञान हो या मानव ज्ञान की अन्य विधा भारत ही नेतृत्वकर्ता रहा है, विकसित भारत@2047 की यात्रा में हमारी पीढ़ी रहे न रहे किन्तु आज की युवा पीढ़ी न केवल उसे महसूस करेगी अपितु उस प्रयोजन की कर्ता भी वही है।
मुख्य वक्ता काशी हिंदू विश्विद्यालय के प्रोफ़ेसर अनिल कुमार सिंह ने कहा कि भारत भारती के कण कण में जीवन के रहस्य ज्ञान का भण्डार समाहित है, आवश्यकता है केवल उसके स्मरण और प्रयोग मात्र की।
विभाग प्रचारक दीनानाथ ने कहा कि युवाओं को ऐसे ही भारत के अद्भुत ज्ञान परम्परा से आलोकित करने की ज़रूरत है जिससे न केवल उनका अपितु पूरे समाज का पथ आलोकित होता रहे।
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो0 संजीव कुमार ने कहा कि जिस प्रकार चिकित्सा शास्त्र में आज भी भारत की आयुर्वेद पद्धति निर्विवाद रूप से चमत्कृत करती है, शास्त्र और पुराण अपनी उपादेयता सिद्ध करते हैं वह इस बात का प्रमाण है कि भारतीय ज्ञान परम्परा और मनीषा श्रेष्ठ व मानवमात्र के लिए कल्याणकारी हैं।
अपने आभार ज्ञापन में प्रो0 शुचिता श्रीवास्तव ने भारतीय ज्ञान परम्परा के महत्व को सारांशित करते हुए सत्यं शिवं सुंदरम को भारतीयता का मूल बताया।
दोनों संगोष्ठियों का संचालन और समन्वय ले0 डॉ0 पंकज सिंह,युवा गतिविधि सह प्रमुख,गोरक्ष प्रान्त तथा तृषिका श्रीवास्तव ने किया।
प्रान्त मंत्री,प्रदीप सिंह, सह शैक्षिक प्रमुख अंजनी कुमार द्विवेदी,उपेंद्र सिंह तोमर के साथ
इस अवसर पर,डॉ0 सुजीत,डॉ0 प्रकाश चन्द, डॉ0 शफीउज़्ज़मा,डॉ0जे0 पी0 यादव, डॉ0 उमेश पाण्डे, डॉ0 घनश्याम दुबे,डॉ0 ऋतम्भरा दुबे,डॉ0 आनन्द सिंह,किशन सिंह,क्रीं कुण्ड सदर शाखा के प्रमोद कुमार सिंह,विपिन सिंह के साथ एन सी सी और रोवर्स रेंजर्स के कैडट्स सक्रिय रूप से उपस्थित रहे।
संवाददाता अब्दुर्रहीम शेख़।
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